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कुरान की तिलावत की कला / 7

उस्ताद "कामिल यूसुफ" की तिलावत के अंदाज की विशेषताएँ

15:04 - November 08, 2022
समाचार आईडी: 3478041
तेहरान (IQNA):उस्ताद "कामिल यूसुफ बेहतीमी" की पवित्र कुरान को पढ़ने का अपना एक अनदाज़ था। अनदाज़ का मतलब एक आवाज़ की एक ख़ास हालत नहीं है, बल्कि एक प्रवचन है, और विशिष्ट धुनों की एक क़िस्म, साथ ही क़ारी का चरित्र, उसकी समझ और सीख, और उसके आंतरिक विचार मिलकर अन्दाज़ बनाते हैं।

उस्ताद "कामिल यूसुफ बेहतीमी" की पवित्र कुरान को पढ़ने का अपना एक अनदाज़ था। अनदाज़ का मतलब एक आवाज़ की एक ख़ास हालत नहीं है, बल्कि एक प्रवचन है, और विशिष्ट धुनों की एक क़िस्म, साथ ही क़ारी का चरित्र, उसकी समझ और सीख, और उसके आंतरिक विचार मिलकर अन्दाज़ बनाते हैं।
यह नहीं कहा जा सकता है कि उस्ताद कामिल युसूफ पर उस्ताद मोहम्मद रिफत का सबसे अधिक प्रभाव था। इस तथ्य के कारण कि हमने उस्ताद मोहम्मद रिफत की बहुत सी तिलावतें सुनी हैं, हम कामिल यूसुफ की पूर्ण तिलावत में रिफत के निशान देख सकते हैं, लेकिन हमारे लिए उस्ताद सलामह की ज़ियादा तिलावत उपलब्ध नहीं हैं। हमारे पास उस्ताद मोहम्मद अल-सैफी की भी ज्यादा तिलावत नहीं है, और हमें सही निर्णय लेने में सक्षम होने के लिए इन्हें सुनने की जरूरत है। लेकिन इस वक्त हम यह कह सकते हैं कि कामिल यूसुफ की तिलावत में मोहम्मद रिफत की तिलावत के निशान हैं।
कामिल युसूफ ने जो लहन सुनी वह मौलिक और सर्वश्रेष्ठ थी। जब हम कामिल युसूफ की तिलावत सुनते हैं, तो हम देखते हैं कि यह सच है कि वह प्रमुख क़ारियों की शैलियों से प्रेरित है, लेकिन वह अभी भी नकल करने वाले नहीं हैं और उनका एक अनूठा अंदाज है,  यहां तक ​​कि मोहम्मद लैसी जैसे लोगों ने भी कामिल यूसुफ की नकल की है।
कामिल यूसुफ की तिलावत में जो पहली चीज नजर आती है, वह है उनकी आवाज है। मिस्र में, क़ारी को बिना किसी कारण के उपनाम नहीं दिया जाता है, बल्कि ये उपनाम किसी कारण से दिए जाते हैं। अब्दुल बासित का उपनाम "सोने के गले वाला" था। कामिल यूसुफ को भी इसी तरह का उपनाम दिया गया था, और उन्हें "फौलादी गला" कहा जाता था। इससे पता चलता है कि कामिल युसूफ की खुसूसियत उनकी खास आवाज थी। कामिल युसुफ की आवाज बड़ी खूबसूरत और लचीली थी जिसकी ऊंचाई भी ज़्यादा थी। आज उस्ताद, अगर कामिल युसूफ के बारे में बात करें, तो वे कह सकते हैं कि उनकी आवाज पंद्रह डिग्री है।
एक और बात यह है कि यूसुफ की पूरी आवाज में एक दर्द पाया जाता है। हम कभी कहते हैं कि तिलावत रूहानी तिलावत है। रेहाना तिलावत का अर्थ है रेहानियत पर आधारित तिलावत। लेकिन एक बार हम कहते हैं कि तिलावत पुर दर्द है; यानी क़ारी शुरू से ही दर्दनाक माहौल में अपनी आवाज निकालता है और आवाज में दर्द पैदा करता है। जब वाणी में यह दर्द और ग़मी उत्पन्न हो जाती है तो खुद आयतौं की तासीर के अलावा क़ारी की आवाज भी श्रोता को प्रभावित करती है, और क़ारी अपनी आवाज के जरिए श्रोता से कहता है, "आप कुरान की उपस्थिति में हैं , और कुरान दर्द के साथ नाजिल हुआ, और मैं भी इस को दर्द भरी आवाज में पढ़ रहा हूं"। रफत, मनशावी और कामिल युसुफ जैसे क़ारियौं की आवाज में दर्द कूट कूट कर भरा हुआ है।

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